कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता अपना दिल भी टटोल कर देखो फासला बेवजह नही होता कोई काँटा चुभा नहीं होता दिल अगर फूल सा नहीं होता गुफ़्तगू उनसे रोज़ होती है मुद्दतों सामना नहीं होता रात का इंतज़ार कौन करे आज कल दिन में क्या नहीं होता....~` Rajudeen....~` --- On Thu, 25/8/11, Lilly <llolli_bobby@yahoo.com> wrote: From: Lilly <llolli_bobby@yahoo.com> Subject: «*» RUKHSANA«*» ♥~♥ yah jeevan hai ♥~♥ To: "Rukhsana@yahoogroups.com" <Rukhsana@yahoogroups.com> Date: Thursday, 25 August, 2011, 5:21 AM
|
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment