From: sapna kamble <sapna_ashok9@yahoo.co.in>
To: Rukhsana <Rukhsana@yahoogroups.com>
Sent: Saturday, 16 June 2012 2:51 PM
Subject: <<<<<मैं तो दरिया हुँ>>>>>>>
मैं तो दरिया हुँ
चेहरे बदलने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दिल में.....darrd... हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं
चलते चलते थम जाने का हु नर मुझमैं नह
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं
मैं तो दरिया हुँ , बेहता ही रहा , तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं
sapna
दिल में.....darrd... हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं
चलते चलते थम जाने का हु नर मुझमैं नह
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं
मैं तो दरिया हुँ , बेहता ही रहा , तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं
sapna
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