अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
मेरी गैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे
उसने इस तरह बुलाया है कि जा भी न सकूँ
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
मेरी गैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे
उसने इस तरह बुलाया है कि जा भी न सकूँ
इक न इक रोज कहीं ढ़ूँढ़ ही लूँगा तुझको
ठोकरें ज़हर नहीं हैं कि मैं खा भी न सकूँ
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन
इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ...~`
ठोकरें ज़हर नहीं हैं कि मैं खा भी न सकूँ
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन
इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ...~`
__._,_.___
VISIT RUKHSANA FM ONLINE RADIO
http://www.freewebs.com/rukhsanafm
http://www.freewebs.com/rukhsanafm
http://www.freewebs.com/rukhsanafm
http://www.indiaonlinefm.com
http://www.indiaonlinefm.com
http://www.indiaonlinefm.com
***********************************
Enjoy your stay at Rukhsana Group.
Moderators Rukhsana Group:
Aika Rani, Lilly ,A k h t a r,Mumtaz Ali
Contact us at: llolli_bobby@yahoo.com
Aika_Rani@Yahoo.Com
akhtar_khatri2001@yahoo.com
Rukhsana-owner@yahoogroups.com
**********************************
.
__,_._,___
0 comments:
Post a Comment